अमीर यात्री, गरीब अटेंडेंट: ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों का दोहरा चरित्र!

train passenger

ट्रेन से कंबल, चादर जैसी चीजें चोरी करने वाले अमीर लोग सामान तो अपने घर ले जाते हैं। लेकिन, उन्हें यह नहीं पता होता है कि इस चोरी का खामियाजा कोच में काम कर रहे गरीब अटेंडेंट को भुगतना पड़ता है। भारतीय रेलवे को भारत के हर आय वर्ग (इनकम ग्रुप) के लिए बनाया गया है।

ऐसा कहा जाता है कि ट्रेन के एसी कोच में अधिकतर अमीर लोग ही यात्रा करते हैं। लेकिन, हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एसी कोच में यात्रा करने वाले लोगों पर सवाल उठा दिया है। पिछले 1 महीने में झांसी मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों से 30000 से अधिक कंबल, चादर, तकिए के कवर चोरी हो गए हैं। ट्रेन के अटेंडेंट की यह जिम्मेदारी होती है कि जिस एसी कोच में वह ड्यूटी कर रहा है, उसके सभी यात्रियों को बेड रोल मिल जाए। यात्रा खत्म हो जाने के बाद अटेंडेंट को सभी बेड रोल को इकट्ठा भी करना होता है।

अगर कोई सामान गायब होता है तो उसका पैसा अटेंडेंट की सैलरी से काट लिया जाता है। ट्रेन में काम करने वाले एक अटेंडेंट अनिकेत ने बताया कि यात्री ट्रेन में मिलने वाले सामान पर अपना अधिकार समझ कर उन्हें घर ले जाते हैं। लेकिन, इसका नुकसान हमें उठाना पड़ता है। हर सामान के हिसाब से हमारी सैलरी काट ली जाती है। एक कंबल चोरी होने पर 800 रुपए, चादर चोरी होने पर 400 रुपए, तकिए का कवर चोरी होने पर 200 रुपए काट लिए जाते हैं। कई बार तो पूरी सैलरी ही कट जाती है। एक अन्य अटेंडेंट राहुल ने बताया कि वह कई बार यात्रियों से भी अनुरोध करते हैं कि सामान अपने साथ ना ले जाएं। इसके बावजूद भी ये अमीर लोग चोरी करने से बाज नहीं आते हैं।

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