मुख्तार अंसारी: एक बड़े अपराधी से उपराष्ट्रपति और राज्यपाल तक का सफर

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मुख्तार अंसारी नाम के साथ भले ही इतिहास के पन्नों में माफिया, डॉन और गैंगस्टर लिखा जाता है, लेकिन उनके परिवार का नाम हमेशा इतिहास के पन्नों में अदब से लिखा ही रहेगा। उनके परिवार से राज्यपाल और देश के उपराष्ट्रपति रहे हैं। गाजीपुर जिले में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जिलों में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान है। पूर्वांचल के कुख्यात अपराधी और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार को बांदा जेल में दिल के दौरा से मौत हो गई। पांच बार विधायक रहे पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी पर भले ही दर्जनों मुकदमे दर्ज हों, लेकिन उनके पारिवारिक इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करते वक्त मुख्तार अंसारी ने कहा था, ‘वो एक ऐसे परिवार का हिस्सा हैं जिसने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है। भारत को मोहम्मद हामिद अंसारी के रूप में उप राष्ट्रपति दिया है। शौकत उल्लाह अंसारी के रूप में ओडिशा को एक राज्यपाल और न्यायमूर्ति‍ आसिफ अंसारी के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट को एक जज दिया है।’ इसी वजह से आज भी गाजीपुर जिले में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जिलों में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान कायम है।

मुख्तार अंसारी ने कहां से की थी पढ़ाई?

मुख्तार अंसारी का जन्म 03 जून 1963 को यूपी के गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद में हुआ था। पिता का नाम सुभानुल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। मुख्तार अपने भाइयों में सबसे छोटा था। मुख्तार अंसारी ने राजकीय शहर इंटर कॉलेज और पीजी कॉलेज से पढ़ाई की थी। साल 1984 में आर्ट्स से बीए किया था और रामबाग के पीजी कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में कदम रखा और 1996 में बसपा से टिकट पाकर मऊ से चुनाव लड़ा और विधायक बन गया। मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने भी गाजीपुर के पीजी कॉलेज से 1976 पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। वे पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। पहली बार बहुजन समाजवादी पार्टी से गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने। साल 2004 के आम लोकसभा चुनाव में सपा से टिकट मिला और जीत हासिल कर फिर से सांसद बने थे। हालांकि इसके बाद बसपा से टिकट मिला और सांसद बने। मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी ने देश की आजादी में अहम रोल किया था। मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वो देश के राष्ट्रपित महात्मा गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। 1930 में जब गांधी जी ने नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में सत्याग्रह किया था। गाजीपुर का जिला अस्पताल उन्हीं के नाम पर है। इसके अलावा वे देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे 1928 से 1936 तक इसके चांसलर भी रहे। उन्होंने मद्रास से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी और यूके से एमएस और एमडी की डिग्री हासिल की थी। आज भी दिल्ली में उनके नाम पर एक मशहूर इलाके की सड़क का नाम (अंसारी रोड) प्रचलित है।

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