यूसुफ़ पठान को ही क्यों चुना तृणमूल कांग्रेस ने आये जानते है?
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वह बताते हैं, “फ़ोन पर पहले कई बार बातचीत हुई थी। लेकिन दोनों की पहली मुलाक़ात रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में ही हुई। उसी बैठक के दौरान पठान ने बहरमपुर से उम्मीदवारी पर सहमति जता दी। नाम का एलान नहीं होने तक वो मंच पर आने की बजाय एसयूवी में ही बैठे रहे।”
लेकिन आख़िर ममता ने अधीर के ख़िलाफ़ यूसुफ पठान को ही क्यों चुना? तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़ इसके तीन प्रमुख कारण हैं। इसमें सबसे बड़ी वजह है, ज़िले में पार्टी की अंतरकलह पर अंकुश लगाना।
बहरमपुर सीट से इस बार पार्टी की पूर्व जिला प्रमुख सावनी सिंह राय के समर्थक उनकी उम्मीदवारी की मांग कर रहे थे। दूसरी ओर, पिछले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार और मौजूदा जिला प्रमुख अपूर्व भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि बहरमपुर नगरपालिका के अध्यक्ष नाड़ू गोपाल मुखोपाध्याय भी टिकट पाने की जुगत में जुटे थे।
मुर्शिदाबाद के एक तृणमूल कांग्रेस नेता कहते हैं, “अगर इन तीनों में से किसी को भी टिकट मिलता तो बाकी दोनों नेता बग़ावत पर उतारू हो जाते। तब हालात बेकाबू होने का ख़तरा था। अब यूसुफ़ पठान जैसे एक क्रिकेटर के मैदान में उतरने से सबकी बोलती बंद हो गई है और तमाम गुट उसकी जीत सुनिश्चित करने में जुट जाएंगे।”
पार्टी के जिला अध्यक्ष अपूर्व कहते हैं, “शीर्ष नेतृत्व ने बेहतर जानकर ही यूसुफ़ पठान को यहां अपना उम्मीदवार बनाया है। अब उनकी जीत सुनिश्चित करना तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी है।”
बहरमपुर सीट का क्या है समीकरण?
बहरमपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत बहरमपुर के अलावा बेलडांगा, नवदा, जेरिनगर, कांदी, भरतपुर और बड़ंचा विधानसभा सीटें हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इनमें से तीन-बहरमपुर, नवदा और बड़ंचा में अधीर रंजन चौधरी आगे रहे थे और बाकी में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार अपूर्व।लेकिन ख़ास बात यह है कि अधीर की जीत का अंतर एक झटके में 3.56 लाख से घटकर क़रीब 81 हज़ार ही रह गया था।साल 2021 के विधानसभा चुनाव में बहरमपुर सीट बीजेपी ने जीती थी और बाकी छह सीटें तृणमूल कांग्रेस के खाते में गई थीं।बीते साल हुए पंचायत चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र के तहत ज़्यादातर सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई थी।
तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता बताते हैं, “कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाबी मिलने की स्थिति में बहरमपुर में जीत तय है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने पठान को यहां उतारा है।”
“तृणमूल कांग्रेस नेताओं का कहना है कि साल 2019 में अधीर की जीत का सबसे बड़ा कारण उनका निजी करिश्मा था। अधीर की छवि को टक्कर देने लायक ज़िले में तृणमूल का कोई नेता नहीं है। इसीलिए ममता ने यहां यूसुफ पठान जैसे लोकप्रिय क्रिकेटर को मैदान में उतारा है जो स्थानीय लोगों के लिए भी अनजान नहीं है।”
मुर्शिदाबाद के एक तृणमूल कांग्रेस नेता कहते हैं, “हमारे देश में क्रिकेटरों की लोकप्रियता की कोई तुलना नहीं की जा सकती। पठान लंबे समय तक कोलकाता में रह कर खेलते रहे हैं। हरफनमौला खिलाड़ी के साथ ही वे पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा भी बन गए हैं। यह बात बहरमपुर जैसे अल्पसंख्यक बहुल इलाक़े के लिए बहुत मायने रखती है।”
हालांकि कांग्रेस और बीजेपी पठान के बाहरी होने का मुद्दा भी उठा सकती है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि वो देश के लिए खेल और विश्वकप जीत चुके हैं। इसके अलावा लंबे समय तक आईपीएल में कोलकाता में खेलते रहे हैं। उनको बाहरी का तमगा देना आसान नहीं होगा।कांग्रेस का कहना है कि अधीर चौधरी को हराने के लिए ही तृणमूल कांग्रेस ने यहां बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगा कर बीजेपी की मदद करने के लिए ही ममता बनर्जी ने यहां यूसुफ पठान को टिकट दिया है।