चंद्रशेखर और डॉ. अयूब के मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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चंद्रशेखर के अधिवक्ता का तर्क था कि – डॉ.अयूब और चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ पुलिस ने आपदा अधिनियम और महामारी अधिनियम व अन्य के तहत 21 फरवरी 2022 को मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने चार्जशीट दाखिल होने के एक साल पांच माह 20 दिन बाद संज्ञान लिया। वहीं, नियमानुसार छह माह में चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया जाना चाहिए।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और पीस पार्टी के डॉ.अयूब के खिलाफ दर्ज मुकदमे की चार्जशीट पर सीजेएम संत कबीर नगर की ओर से संज्ञान लेने का मामला नए सिरे से तय करने का निर्देश दिया है।

\ मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह कर रहे हैं। सीजेएम की ओर से चार्जशीट पर एक वर्ष बाद संज्ञान लेने पर हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि यह मियाद बाधित है। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने सीजेएम के क्लर्क की ओर से चार्जशीट बार-बार अस्वीकार करने पर कोर्ट ने जिला जज संत कबीर नगर से जवाब मांगा था। कहा था कि बताएं किन परिस्थितियों में क्लर्क ने चार्जशीट स्वीकार नहीं की। कोर्ट के आदेश पर जिला जज ने रिपोर्ट दाखिल की।

वहीं, सीजेएम के क्लार्क ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चार्जशीट उसी दिन स्वीकार कर ली गई, जिस दिन थाने का पैरोकार इसे लेकर आया था। अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने कहा कि चार्जशीट दाखिल करने और इस पर संज्ञान लेने में देरी को लेकर दस्तावेजों पर पर्याप्त आधार मौजूद हैं। इसलिए इस पर विचार कर सीजेएम कोर्ट को सीआरपीसी की धारा 473 के तहत विलंब माफ करने की शक्ति प्राप्त है।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति पर प्रकरण को सीजेएम संत कबीर नगर को यह कहते हुए वापस कर दिया कि वह मामले में नए सिरे से आदेश पारित करें। याची के अधिवक्ता का कहना था कि डॉ.अयूब और चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ पुलिस ने आपदा अधिनियम और महामारी अधिनियम व अन्य के तहत 21 फरवरी 2022 को मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने चार्जशीट दाखिल होने के एक साल पांच माह 20 दिन बाद संज्ञान लिया। वहीं, नियमानुसार छह माह में चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया जाना चाहिए। ऐसे में सीजेएम द्वारा लिया गया संज्ञान सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार मियाद बाधित है। इस पर कोर्ट ने जिला जज संत कबीर नगर से रिपोर्ट मांगी थी।

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