भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को फिर से उतारा मैदान में, क्या होगा सोनिया गांधी का भविष्य?

दिनेश प्रताप सिंह

एमएलसी और योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह पर भाजपा ने दोबारा भरोसा जताया है। पार्टी ने उन्हें रायबरेली से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया है। दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। मगर हार का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं दिनेश प्रताप सिंह के बारे में…भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर दिनेश प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। मौजूदा समय में सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं।

2018 में दिनेश ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इसके अगले साल ही भाजपा ने लोकसभा का टिकट दिया था। दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। मगर सोनिया गांधी ने 1,67,178 मतों से जीत हासिल की थी। मौजूदा समय में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री हैं।रायबरेली की सियासत में पंचवटी का दबदबा है। दरअसल, दिनेश प्रताप सिंह के घर को पंचवटी के नाम से जाना जाता है। दिनेश प्रताप सिंह गांव गुनावर कमंगलपुर के रहने वाले हैं। रायबरेली की राजनीति में इस परिवार का खूब वर्चस्व है। दिनेश प्रताप सिंह के घर पर ही ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं। हालांकि रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट पर 2022 में उनके भाई राकेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस का हिस्सा थे। एक समय वे सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे हैं। पंचवटी का कांग्रेस में खूब दबदबा रहा। यही वजह थी कि 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार और 2016 में दूसरी बार कांग्रेस से एमएलसी बने थे। हालांकि 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की। 2022 में भाजपा की टिकट पर एमएलसी का चुनाव जीता और योगी सरकार में मंत्री हैं।2021 में भाजपा ने कांग्रेस को उसी के गढ़ में शिकस्त दी। यह चुनाव था जिला पंचायत अध्यक्ष का। कांग्रसे से आरती सिंह प्रत्याशी थीं। उन्हें 22 वोट मिले थे। वहीं भाजपा प्रत्याशी रंजना चौधरी को 30 मत मिले थे। आठ मतों से जीतकर रंजना चौधरी रायबरेली की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। खास बात यह है कि इस चुनाव की कमान दिनेश प्रताप सिंह के हाथों में थी।

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