इस प्रयाग में स्नान करने से मिलता है मोक्ष, भगवान विष्णु हुए थे यहां प्रकट!

सोनिया मिश्रा/ चमोली.उत्तराखंड हमेशा से ही अपनी धार्मिक मान्यताओं, स्थलों, भव्य मंदिरों को लेकर फेमस रहा है. यही कारण है कि इसे देवभूमि, स्वर्गभूमि, तपोभूमि समेत कई नामों से पुकारा जाता है. जब भी देवभूमि शब्द ज़ुबान पर आता है, तो दिमाग में आस्था, धर्म और मंदिरों की कल्पना आ जाती है, क्योंकि यहां की जड़ें ही धर्म हैं और इन्हें सींचने का काम करती हैं यहां की नदियां और प्रयाग, जहां दो नदियों का संगम होता है. उन संगमों में अमृत के समान पानी कल- कल, छल- छल की आवाज़ करता निरंतर बहता ही जा रहा है. जिसे पीने से ना सिर्फ प्यास बुझती है, बल्कि इसमें डुबकी लगाने से सभी पाप भी कट जाते हैं.

उत्तराखंड में पंच प्रयाग स्थित हैं, जिनमें से पहला प्रयाग विष्णु प्रयाग (Vishnu Prayag History) चमोली जिले में है, जहां अलकनंदा और धौली गंगा का संगम होता है. मान्यता है कि इस प्रयाग में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिस कारण श्रद्धालु यहां डुबकी लगाने आते हैं. चार धाम यात्रा के दौरान बद्रीनाथ जाते हुए श्रद्धालुओं की यहां भारी भीड़ देखने को मिलती है. मान्यता है कि नारद ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें इस स्थान पर दर्शन दिए थे और तभी से इस स्थान का नाम ‘विष्णु प्रयाग’ पड़ा. संगम के ऊपरी तट पर भगवान विष्णु का एक मंदिर भी है, जिसकी स्थापना 1889 में होना बताई जाती है. मान्यताओं के अनुसार, इसकी स्थापना इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने की थी. इस मंदिर का आकार अष्टकोणीय है.

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