अयोध्या से लेकर संविधान तक: सुधांशु ने उठाए बड़े सवाल

Sudhanshu Trivedi संसद के सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। राज्यसभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपना संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। संविधान के मामले से लेकर अयोध्या में मिली हार तक विपक्ष के सवालों पर उन्होंने जमकर जवाब दिए। जानिए उन्होंने सदन में किन बातों पर अपना पक्ष रखा?

संसद का सत्र शुक्रवार को प्रारंभ हुआ। इस दौरान राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सांसद और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने की। उनके संबोधन के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने जमकर हंगामा और नारेबाजी की। हालांकि फिर भी त्रिवेदी अपना संबोधन देते रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान राम हमारे लिए चुनावी हार या जीत का विषय नहीं हैं। हम दो सीट पर भी वैसे ही खड़े थे और आज 240 सीटें आने पर भी हम वैसे ही खड़े हुए हैं।सुधांशु ने राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि ‘अयोध्या में हमें अपेक्षानुरूप सफलता नहीं मिली, तो विरोधी चित्रकूट से लेकर रामेश्वरम तक राम से जुड़ी सीटें गिना रहे हैं। सुधांशु ने कहा कि ‘ये वो लोग हैं जो लोग भगवान राम का अस्तित्व नहीं मानते थे। क्या भगवान राम हमें चुनाव में हरवाने के लिए आए थे, नहीं वे ऐसे लोगों के लिए अपना अस्तित्व मनवाने के लिए आए थे।सुधांशु ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ‘उत्तर प्रदेश में भी एक नारा लगा था कि ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’, लेकिन यूपी में हमने सरकार बनाकर इन्हें बता दिया था। दरअसल, चुनाव में हारना और जीतना हमारे लिए विषय नहीं है। दो सीट पर भी हम वैसे ही खड़े थे, जैसे आज हैं। हो सकता है तपस्या में कोई कमी रह गई हो।

संविधान के मामले पर भी सुधांशु ने अपने संबोधन में विपक्ष पर सवाल खड़े किए। त्रिवेदी ने कहा कि ‘इन लोगों ने अपनी सरकारों में संविधान के साथ क्या किया, सभी जानते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए ‘इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा’ का नारा याद दिलाया उन्होंने आपातकाल में वैसा ही कदम इंदिरा की ओर से उठाए जाने के साथ संविधान के 39वें और 40वें संशोधन की याद भी दिलाई।सुधांशु ने कहा कि ’42वां संविधान संशोधन ऐसा अमेडमेंट था, जिसमें संविधान की आत्मा को बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि ‘ राजीव गांधी की सरकार ने कोर्ट का आदेश रोककर शरीया को संविधान से ऊपर कर दिया।’ सुधांशु ने सवाल किया कि’ जब मनमोहन सिंह की सरकार आई, यूनियन कैबिनेट के ऊपर नेशनल एडवाइजरी काउंसिल किसने बनाई।’ अपने संबोधन में उन्होंने मनमोहन सिंह को पीएम और सोनिया को सुपर पीएम व राहुल गांधी के कैबिनेट के निर्णय को फाड़ने का जिक्रकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया।

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